“नरेंद्र मोदी ये बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि हिंदू एकता सिर्फ नारों तक ही सीमित रह जाए। सीएम योगी भी नहीं चाहते कि हिंदुओं के बंटने का कोई फायदा उठाए। इसके साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इसी लाइन पर अपने वक्तव्य दे चुके हैं”
नई दिल्ली 11 / 10 / 2024 संतोष सेठ की रिपोर्ट
बंटेंगे तो कटेंगे, हम बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे, हिंदू समाज को एकजुट होना होगा…उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सिलसिलेवार ढंग से हिंदुत्व एकता की बात को उठाया है”
लेकिन इन बयानों से देश का कुछ वर्ग नाराज भी हो उठा। आज हिंदू एकता पर कट्टरपंथी भाई जान को आपत्ति जरूर हो रही है। लेकिन ये वही लोग हैं जो आए दिन सार्वजनिक सभाओं में देश के मुसलमान जाग जाओ। देश के मुसलमान एकजुट हो जाओ की अपील करते नजर आते हैं”
अभी हालिया ईरान के सुप्रीम लीडर का बयान तो आप सभी को याद होगा। जब वो मुसलमानों को एकजुट होने की अपील करते नजर आते हैं।
मुस्लिम देशों को अफगानिस्तान से लेकर यमन तक, ईरान से लेकर गाजा और लेबनान तक अपनी रक्षा के लिए कमर कसनी होगी।
इस समय देश की हालात ऐसी हो गई है कि हिंदू एकता केवल नारों में सिमट कर रह गई है। हिंदू एकता के नारे तो लगाए जाते हैं। लेकिन जैसे ही जाति की बात आती है तो अगड़ा-पिछड़ा, ठाकुर, ब्राह्मण, दलित यही सब होने लगता है।
हिंदुओं को जातियों के नाम पर बांटने वाली राजनीति पिछले कुछ वक्त से देश में हावी हो चुकी है। ये वो राजनीति है जिसके मुंह में लोकसभा चुनाव के बाद खून लग चुका है।
आगे कई राज्यों में कई और चुनाव हैं तो हिंदू एकता को तोड़ने वाली जाति आधारित राजनीति और तेज न हो जाए। इस खतरनाक राजनीति की काट यही है कि बिना देरी के हिंदू एकता की आक्रमक राजनीति हो।
यही वजह है कि विधानसभा चुनाव के नतीजे से पहले ही हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे आक्रमक होकर इस मुद्दे को उठा रहे हैं। खासकर नरेंद्र मोदी ये बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि हिंदू एकता सिर्फ नारों तक ही सीमित रह जाए।
सीएम योगी भी नहीं चाहते कि हिंदुओं के बंटने का कोई फायदा उठाए। इसके साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इसी लाइन पर अपने वक्तव्य दे चुके हैं।
5 अक्टूबर को मोदी, 6 अक्टूबर को आरएसएस बयान अलग – अलग लेकिन मायने एक
प्रधानमंत्री मोदी ने ठाणे की रैली में कहा कि कांग्रेस जानती है कि उनका वोट बैंक तो एक रहेगा, लेकिन बाकी लोग आसानी से बंट जाएंगे। कांग्रेस और उनके साथियों का एक ही मिशन है, समाज को बांटो और सत्ता पर कब्जा करो।
इसलिए हमारी एकता को ही देश की ढाल बनाना है, हमें याद रखना है कि अगर हम बंटेंगे तो बांटने वाले महफिल सजाएंगे। राजस्थान के बारां में स्वयंसेवक एकात्मकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हम यहां प्राचीन काल से रह रहे हैं, भले ही हिंदू शब्द बाद में आया।
हिंदू सभी को गले लगाते हैं। वे निरंतर संवाद के माध्यम से सद्भाव में रहते हैं। भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को भाषा, जाति और क्षेत्रीय मतभेदों और विवादों को खत्म करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। इससे पहले सीएम योगी भी कह चुके हैं कि राष्ट्र तब सशक्त होगा जब हम एक रहेंगे, नेक रहेंगे। बटेंगे तो कटेंगे।
गंभीर हैं इसके मायने
आप सोच रहे होंगे की अचानक से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर आरएसएस चीफ भागवत सब हिंदू एकता पर जोर क्यों दे रहे हैं? हिंदुओं को एकजुट होने के लिए क्यों कह रहे हैं? हिंदुओं पर ऐसा कौन सा बड़ा खतरा है?
दरअसल, मोहन भागवत इसलिए हिंदू एकता की बात कर रहे हैं क्योंकि ये मानते है कि भारत हिंदू समाज से बना है। भारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी हिंदुओं पर है। अगर हिंदू भाषा, प्रांत के नाम पर बंट जाएंगे तो देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
सीएम योगी ने हिंदू एकता की बात इसलिए कही क्योंकि हिंदुओं पर बांग्लादेश में अत्याचार होते हुए पूरी दुनिया ने देखा। योगी ये समझाना चाह रहे हैं कि एकजुट होकर ही ऐसे हालात का सामना किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का हिंदू एकता की बात करना भी अहम है क्योंकि विपक्ष उन्हें कुर्सी से हटाने के लिए जातियों में बांटने में लगा हुआ है।
हिंदू एकता की बात इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ये बंटवारे का काम दूसरे धर्मों के साथ नहीं किया जा रहा है। जबकि वहां भी अलग जातियां हैं।
कमंडल की राजनीति को फिर से जिंदा करने की कोशिश
90 के दशक का दौर जब मंडल की राजनीति के सापेक्ष बीजेपी ने कमंडल की राजनीति को खड़ा कर दिया था। अब 2024 में कमंडल 2.0 देखने को मिल सकता है। वैसे तो इन बयानों को राजनीति से भी जोर कर देखा जा रहा है।
कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में भारी गिरावट देखने को मिली। पीएम मोदी ने अबकी बार 400 पार का नारा दिया था। लेकिन वो बहुमत के जादुई आंकड़े तक भी पहुंचने में कामयाब नहीं हो पाई।
इसके साथ ही कहा गया कि हिंदू वोर्टर्स का भी बीजेपी को 2014 और 2019 सरीखा साथ नहीं मिला। नतीजतन उसे सहयोगियों की बैसाखी के सहारे सरकार बनानी पड़ी।
कहा जा रहै कि बीजेपी हिंदू वोटर्स को फिर से एकजुट करने में जुट गई है। उसी के तहत इस तरह के बयान टॉप लीजरशिप की ओर से देखने को मिल रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी का फोकस उसके कोर हिंदू वोर्टस को वापस एकजुट करने पर टिका है।
इंटरनल और जियो पॉलिटिक्स के लिहाज से भी अहम
देश की आतंरिक राजनीति में पीएम मोदी के सामने इंडिया अलायंस की जाति की राजनीति का चैलेंज है। पूरे चुनाव में राहुल गांधी ने आरक्षण को मुद्दा बनाया। हर चुनावी रैली में संविधान की कॉपी लेकर भाषण दिया। यहां तक की वो सांसद के तौर पर शपथ लेने गए तो उस वक्त भी उनके हाथों में संविधान की कॉपी नजर आई।
लोकसभा चुनाव के वक्त विपक्ष ने एक नैरेटिव चलाया था कि बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान बदल कर आरक्षण खत्म कर देगी, और ये बात चुनावी मुद्दा बन गई। यहां तक की बजट बनाने वाले अफसरों की जाति पूछकर उसे चैलेंज कर रहे हैं।
मिस इंडिया जैसे कॉम्पिटीशन जीतने वाली कंटेस्टेंट की जाति पूछ रहे हैं। राहुल गांधी हर चीज को जाति से जोड़ रहे हैं। इस तरह की राजनीति के आगे चलकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अतीत में ऐसे कई उदाहऱण है जब भारत में अपने अपने फायदे के लिए आपस में लोग बंटे तब नुकसान उठाना पड़ा। 1980-90 के दौर में जाति की राजनीति हावी थी। उसी वक्त कश्मीरी पंडितों की बेबसी पर किसी का ध्यान नहीं गया। उन्हें अपनी ही जमीन से भगा दिया गया।
राम मंदिर का मुद्दा भी कमोबेश इसी की चपेट में वर्षों तक अटका रहा। उत्तर प्रदेश में जाति की राजनीति हावी रही और हिंदू समाज बंटा रहा। मामला वर्षों तक खिंचता रहा।
वैश्विक परिदृश्य में देखें तो दुनिया अलग अलग गुटो में बंटी हुई है। अलग अलग देश अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत इन हालात के बीच अपने हितों को साध रहा और तेजी से विकास कर रहा है।
लेकिन ये भारत के दुश्मनों को भा नहीं रहा है। इसलिए पीएम मोदी देश के बहुसंख्यक समाज से एकजुट रहने की अपील कर रहे हैं। अगर बहुसंख्यक टूट गया तो फिर देश के दुश्मनों के इरादे पूरे हो जाएंगे।

