आज से चैत्र नवरात्रि शुरू, हाथी पर सवार होंगी मां

“30 मार्च 2025 को चैत्र नवरात्रि का महापर्व मनाया जा रहा है, जिसकी रौनक रामनवमी तक बनी रहेगी। ये नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना को समर्पित है”

वाराणसी 30 / 03 / 2025 संतोष सेठ की रिपोर्ट 

मान्यता है कि इस अवधि में माता का आगमन पृथ्वी लोक पर होता है, इसलिए घरों से लेकर सभी धार्मिक स्थलों पर पूजा, जागरण व भजन-कीर्तन का भव्य आयोजन किया जाता है। इस दौरान नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। ऐसे में आइए कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं…

कलश स्थापना विधि

  • पूजा से पहले कलश स्थापना का विधान है।
  • आप सबसे पहले एक मिट्टी के पात्र को लेकर उसमें थोड़ी सी मिट्टी डाल दें।
  • फिर इस पात्र में जौ के बीज डालकर उसे मिलाएं।
  • इसके बाद मिट्टी के पात्र पर पानी से छिड़काव करें।
  • अब आप एक तांबे का लोटा लेकर उसपर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
  • उसके ऊपरी हिस्से में मौली बांधकर साफ जल भरें।
  • इस जल में दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें।
  • अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें।
  • अब पानी के एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें।
  • इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें।

कलश स्थापना

मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, जटा वाला नारियल, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली, थोड़ा सा अक्षत, हल्दी।

1. कलश स्थापना का पहला मुहूर्त

प्रातः 6:15 मिनट से प्रातः 7:22 मिनट तक।

2. नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त

प्रातः 11:46 से दोपहर 12:33 मिनट के बीच घटस्थापना कर सकते हैं।

शुभ योग में चैत्र नवरात्रि आज

हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व का शुभारंभ भी होता है। इस बार 30 मार्च 2025 यानी आज से चैत्र नवरात्रि शुरु हो चुके हैं।

खास बात यह है कि इस तिथि पर रेवती नक्षत्र और ऐन्द्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। इसके अलावा यह दिन हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 के रूप में आया है, जिसमें सूर्य और चंद्र देव दोनों मीन राशि में मौजूद हैं।

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